@PKRAJ It gives nice feelings to be part of such a wonderful forum that has so many erudite and learned members. Wish we get some response to your post, however people like me who only know to read and write and possess no titles are excluded from this discussion.
As penned by Nida Fazli sahab :
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे
किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे