*एक भारतीय अर्थशास्त्री द्वारा विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में लिखा हुआ एक बहुत दिलचस्प लेख* ( यह मूल रूप में अंग्रेजी भाषा में लिखा हुआ है और मैं इसका हिंदी में रूपांतरण कर रहा हूं) वास्तव में यह तर्क बहुत अद्भुत है|
यह एक पागल दुनिया है| यह कितनी मान्य है| यह मैं आप पर छोड़ता हूं |
जापानी लोग बचत में बहुत विश्वास करते हैं, वह ज्यादा खर्च नहीं करते और बहुत ज्यादा बचत करते हैं| इसके अलावा, जापान आयात से कहीं अधिक निर्यात करता है|
100 अरब डॉलर से अधिक का वार्षिक व्यापार अधिशेष है| फिर भी जापानी अर्थव्यवस्था को कमजोर अर्थव्यवस्था माना जाता है, यहां तक की गिरने वाली अर्थव्यवस्था भी माना जाता है|
इसके बनिस्पत, अमेरिकी लोग कम बचत लेकिन ज्यादा खर्च करते हैं| इसके अलावा अमेरिका का निर्यात भी आयात से बहुत कम है| 400 अरब डालर से अधिक का वार्षिक व्यापार घाटा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हर वर्ष झेलना पड़ता है| फिर भी, अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत होने के लिए भरोसेमंद माना जाता है और यह एक मजबूत अर्थव्यवस्था है यहां तक कि सर्वशक्तिमान भी| लेकिन अमेरिकियों को पैसे खर्च करने के लिए धन कहां से मिलता है? यह देश(अमेरिका) जापान, चीन और यहां तक कि भारत से भी उधार लेता हैं| वास्तव में अन्य देश अमेरिकियों के खर्च करने के लिए बचत करते हैं| वैश्विक बचत ज्यादातर अमेरिका में, डॉलर में निवेश की जाती है|
स्वयं हमारे देश भारत में ही अमेरिकी प्रतिभूतियों में 50 बिलियन डालर से अधिक कि विदेशी मुद्रा संपत्ति है| अमेरिकी प्रतिभूतियों में चीन का निवेश 160 अरब डालर से अधिक का है| जबकि जापान का हिस्सा तो ट्रिलियन में है|
परिणाम: अमेरिका ने दुनिया से 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है इसलिए जैसे जैसे दुनिया अमेरिका के लिए बचाती है तो यह अमेरिकी लोग ही हैं जो स्वतंत्र रूप से इसको खर्च करते रहते हैं| आज अमेरिका की खपत को जारी रखने के लिए, अन्य देशों को अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए काम करना होता है| अन्य देशों को हर तिमाही में 180 बिलियन डॉलर का भुगतान(निवेश) करना है जो कि प्रतिदिन 2 बिलियन डॉलर है|
एक चीनी अर्थशास्त्री ने एक सवाल पूछा| अमेरिका में चीन, या चीन में अमेरिका, अधिक निवेश किसने किया है? जितना निवेश चाइना ने अमेरिका में किया है उसका आधे से भी कम निवेश अमेरिका द्वारा चाइना में वापिस किया गया है|
पूरा विश्व अमेरिका के पीछे ही क्यों हैं?
यह रहस्य अमेरिकी खर्च में निहित है, वह शायद ही कभी बचाते हैं या बचत करते हैं| वास्तव में वे अपने भविष्य की आय को भी खर्च कर देते हैं और उसके लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं| अमेरिका लगातार खर्च करता है जो अन्य देशों को अमेरिका को निर्यात करने के लिए आकर्षक बनाता है| इसीलिए अमेरिका वर्ष भर के निर्यात के मुकाबले आयात बहुत ज्यादा करता है|
परिणाम: शेष विश्व अपने विकास के लिए अमेरिकी खपत पर निर्भर है| खपत की अपनी गहरी संस्कृति होने के कारण, अमेरिका की खपत को पूरा करने के लिए दुनिया ने निवेश किया है| लेकिन क्योंकि अमेरिका को अपनी खपत के वित्तपोषण के लिए धन की जरूरत होती है इसलिए उसे दुनिया पैसे प्रदान करती है|
यह एक उस दुकानदार की तरह है जो ग्राहक को पैसा प्रदान करता है ताकि ग्राहक उसकी दुकान से सामान खरीदा रहे और दुकान चलती रहे व्यापार चलता रहे| यदि ग्राहक सामान नहीं खरीदेगा तो दुकानदार के पास कारोबार नहीं होगा, जब तक कि दुकानदार उसे खरीदारी करने के लिए धन नहीं दे| अमेरिका उस भाग्यशाली ग्राहक की तरह है और शेष विश्व असहाय दुकानदार फाइनेंसर की तरह|
अमेरिका का सबसे बड़ा दुकानदार फाइनेंसर कौन है? निश्चित रूप से जापान ही है| फिर भी यह जापान राष्ट्र ही है जिसे कमजोर माना जाता है| आधुनिक अर्थशास्त्रियों को यह हमेशा से ही शिकायत रही है कि जापानी लोग खर्च नहीं करते हैं, इसलिए वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं| जापानी लोगों को खर्च की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए और खर्च करने के लिए मजबूर करने के लिए, स्वयं जापानी सरकार ने प्रयास किए, कि लोगों की बचत कम हो और खर्च ज्यादा हो जाए|
उन्होंने ब्याज दरें कम की यहां तक की ब्याज दरें खत्म कर दी, बल्कि बचत के ऊपर चार्ज भी लगा दिया| फिर भी जापानी लोग खर्च नहीं करते( आदतें नहीं बदलती है, भले ही उन पर कितना भी कर लगा दिया जाए, क्या बदल सकती हैं?)| अकेले उनकी पारंपरिक डाकघर बचत ही 1.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है| इस प्रकार, बचत की प्रवृत्ति जापान की मजबूती होने की बजाय उनका सर दर्द बन गया है|
तो इससे क्या सबक मिलता है?
इसका तो सबक यही है कि जब तक लोग खर्च नहीं करेंगे तब तक कोई राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता| और सिर्फ खर्चा ही नहीं बल्कि उधार ले लेकर भी खर्चा करें|
यही दृष्टिकोण विकास के ग्राफ पर आगे बढ़ने के लिए भारत की मदद कर सकता है| और यही खर्च बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में आकर निवेश करने के लिए आकर्षित और प्रोत्साहित कर सकता है|
'बचत पाप है, और खर्च पुण्य है।' ('Saving is sin, and spending is virtue.')
लेकिन इससे पहले कि कोई भी देश है इस neo इकोनॉमिक्स का पालन करें, उसे कुछ ऐसे देशों को खोजना आवश्यक है जो आपके लिए बचत कर सकें और आप उन से उधार ले सकें ताकि आप खर्च करें!!!
पूरा विश्व इस समय एक आर्थिक गड़बड़झाले में फंसा हुआ है| पढ़ने के लिए दिलचस्प लेख, वास्तव में आंखें खोलने वाला|
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August 15, 2018 7:42:05 PM
IPO Guru (1400+ Posts, 1400+ Likes)
HDFC Asset Management Company FANTASTIC RESULTS EXPECTED. MAY DECLARE HEALTHY DIVIDEND ALSO AS PER ITS TRACK RECORD. BUY FOR MINIMUM 400 RS. PROFIT IN 1 MONTH. Result on 21st
Dear Ou Ai Reg HDFC AMC SHAREHOLDER quota one who applies maximum 169 share and also retail quota 13 shares. Any one got both the quota. I applied seven application in 156 shares in shareholder quota and retail quota i got two application in shareholder and retail quota. I want to know whether any one got both the quota when who applied 169 shares and retail 13 shares.
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August 15, 2018 1:34:01 PM
IPO Mentor (800+ Posts, 3400+ Likes)
Happy Independence Day to all the investors and forum members. Have a happy, healthy and wealthy time ahead. More good IPOs like HDFC AMC, Dmart, Amber, Dixon, Apollo, Bandhan, Aston may come at fair valuation and give bumper listing gain. JAI HIND JAI BHARAT rrpjodhpur